Gita Press
Divya Sukh ki Sarita (Kalyan-Kunj Bhag-5) - 362
Divya Sukh ki Sarita (Kalyan-Kunj Bhag-5) - 362
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दिव्य सुख की सरिता (कल्याण-कुंज भाग–5) (पुस्तक कोड: 362), गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित एक अत्यंत प्रेरणादायक और आत्मिक शांति प्रदान करने वाली पुस्तक है, जिसकी रचना महान संत पूज्य श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी ने की है। यह ग्रंथ गीता प्रेस की प्रसिद्ध "कल्याण-कुंज" श्रृंखला का पाँचवाँ भाग है, जिसमें दिव्य सुख के वास्तविक स्वरूप और उस तक पहुँचने के आध्यात्मिक मार्ग को सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
पुस्तक में भक्ति, सेवा, साधना, सत्संग और आत्मिक चिंतन के माध्यम से जीवन को सुखमय और शुद्ध बनाने की प्रेरणा दी गई है। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि सच्चा और शाश्वत सुख केवल ईश्वर की भक्ति और धार्मिक जीवनचर्या में ही प्राप्त हो सकता है। यह पुस्तक उन पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो बाहरी सुखों से परे, स्थायी आनंद और आत्मिक पूर्णता की खोज में हैं।
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