Gita Press
Gita Sangrah (Volume - 1 & 2)
Gita Sangrah (Volume - 1 & 2)
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गीता संग्रह (खंड 1 एवं 2), गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ-श्रृंखला है, जिसमें विभिन्न प्राचीन गीता-ग्रंथों का संग्रहीत रूप प्रस्तुत किया गया है। इसका पहला खंड (कोड 1958) लगभग 672 पृष्ठों का है और इसमें 25 दुर्लभ एवं मूल्यवान गीता-रूप ग्रंथों को शामिल किया गया है, जैसे – गणेश गीता, हंस गीता, नारद गीता, राम गीता, उत्तर गीता, अष्टावक्र गीता, अवधूत गीता, यम गीता, भगवती गीता आदि। इन ग्रंथों के मूल संस्कृत श्लोकों के साथ उनका सरल एवं शुद्ध हिंदी अनुवाद भी प्रस्तुत किया गया है, जिससे सामान्य पाठक भी इनके गूढ़ अर्थों को सहज रूप में समझ सकें। दूसरा खंड (कोड 2319), जिसे 'द्वितीय गुच्छक' कहा गया है, इस श्रृंखला का विस्तार है जिसमें लगभग 15 अन्य गीता-रूप ग्रंथ सम्मिलित हैं। यह खंड भी संस्कृत श्लोकों और उनके हिंदी अनुवाद सहित लगभग 600 से अधिक पृष्ठों में उपलब्ध है। दोनों ही खंड अध्यात्म, योग, भक्ति, ज्ञान और वैराग्य से संबंधित गूढ़ तत्वों को सरल भाषा में प्रस्तुत करते हैं। गीता प्रेस द्वारा यह संग्रह उन पाठकों, शोधकर्ताओं और साधकों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो भगवद्गीता से आगे बढ़कर अन्य गीता-रूप ग्रंथों का गहन अध्ययन करना चाहते हैं।
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