"ज्ञान के दीप जले" (कोड-1485) – स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज की यह पुस्तक, गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित, उनके आध्यात्मिक प्रवचनों पर आधारित है। इसमें आत्मा और परमात्मा के साक्षात्कार हेतु आवश्यक साधना, सत्संग, श्रद्धा और भक्ति का महत्व स्पष्ट किया गया है। यह पुस्तक साधक के अंतःकरण में ज्ञानरूपी दीप प्रज्वलित कर अज्ञान का नाश करती है और मोक्षमार्ग की ओर प्रेरित करती है। पूरी तरह आध्यात्मिक दृष्टि से लिखी गई यह कृति जीवन के परम लक्ष्य – परमात्मप्राप्ति – की ओर उन्मुख करने वाली एक मूल्यवान मार्गदर्शिका है।
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Gita Press
Gyan Ke Deep Jale - 1485
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