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Manushya Jeevan Ki Saphalata (Part-2)- 265
Manushya Jeevan Ki Saphalata (Part-2)- 265
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"मनुष्य जीवन की सफलता (भाग-2)" श्री जयदयाल गोयन्दका जी द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो जीवन के उद्देश्य, आत्म-सुधार, और आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर प्रकाश डालता है। इसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, संयम, और सत्य की महिमा पर विस्तृत चर्चा की गई है। लेखक ने सरल और सटीक भाषा में पाठकों को जीवन में सफलता प्राप्त करने के उपायों और साधनों के बारे में बताया है।
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जीवन का उद्देश्य: पुस्तक में जीवन के वास्तविक उद्देश्य की पहचान और उसे प्राप्त करने के उपायों पर चर्चा की गई है।
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आध्यात्मिक साधना: भक्ति, ज्ञान, और वैराग्य के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार और मुक्ति की प्रक्रिया को समझाया गया है।
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नैतिक मूल्य: सत्य, संयम, और श्रद्धा जैसे नैतिक मूल्यों की महिमा और उनके पालन के लाभों पर प्रकाश डाला गया है।
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प्रेरणादायक उदाहरण: प्राचीन और आधुनिक संतों और महापुरुषों के उदाहरणों के माध्यम से पाठकों को प्रेरित किया गया है।
यह पुस्तक उन सभी व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है जो जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन की तलाश में हैं। साधकों, विद्यार्थियों, और सामान्य पाठकों के लिए यह एक अमूल्य धरोहर है।
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