Gita Vatika
Prem Vaichitya (Gita Vatika)
Prem Vaichitya (Gita Vatika)
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"प्रेम वैचित्त्य" पुस्तक में पूज्य श्री भाई जी (हनुमान प्रसाद पोद्दार जी) ने राधा-माधव के एकत्व (अद्वैत भाव) और प्रेम वैचित्त्य लीला की भावमयी झाँकियों को अत्यंत सुंदर व हृदयस्पर्शी रूप में प्रस्तुत किया है।
इस ग्रंथ में उस अलौकिक प्रेम का चित्रण है जिसमें विरह भी मिलन का ही रूप होता है। श्री राधा जी का माधव में लय, और माधव का राधा में एकाकार भाव — यह सब प्रेम की पराकाष्ठा के रूप में उभरता है।
"प्रेम वैचित्त्य" में इन दिव्य लीलाओं का काव्यमय चित्रण करते हुए भाई जी ने न केवल भक्तों को श्रीराधा-कृष्ण के मधुर प्रेम में डुबोया है, बल्कि भक्ति, वैराग्य और आत्मसमर्पण के मार्ग की गहराइयों को भी उजागर किया है।
यह पुस्तक गीता वाटिका द्वारा प्रकाशित की गई एक अनुपम भक्ति-साधना की कृति है, जो साधकों के हृदय को श्री राधा-माधव के प्रेम में सराबोर कर देती है।
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