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Shri Ram Charitra - Vanvasi Ram 'Khand-2' (Shri Sudarshan Singh Chakra)
Shri Ram Charitra - Vanvasi Ram 'Khand-2' (Shri Sudarshan Singh Chakra)
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"श्रीरामचरित" एक भावनात्मक, भक्तिपूर्ण और आदर्शों से भरपूर ग्रंथ है, जिसे संत सुधर्शन सिंह 'चक्र' ने रचा है। द्वितीय खंड (वनवासी श्रीराम) – त्याग और तप का आदर्श इस खंड में श्रीराम के वनवास की कथा है। महाराज दशरथ श्रीराम को युवराज घोषित करना चाहते हैं, लेकिन कैकेयी के दो वचनों के कारण उन्हें वनवास और भरत को राजगद्दी देनी पड़ती है। श्रीराम सीता और लक्ष्मण सहित वन को प्रस्थान करते हैं। यह त्याग अयोध्यावासियों को विचलित कर देता है। भरत श्रीराम से मिलने चित्रकूट जाते हैं और चरण पादुका लेकर वापस आते हैं। श्रीराम वन में अनेक ऋषियों से मिलते हैं, जन-जन का कल्याण करते हैं और एक तपस्वी जीवन जीते हैं। इस खंड में भातृप्रेम, पितृवियोग, त्याग, नारी मर्यादा, और धर्म की गहराई को दर्शाया गया है। पंचवटी तक की यात्रा और अरण्य जीवन की शुरुआत इस खंड की अंतिम घटनाएँ हैं।
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