Gita Press
Yog Darshan - 135
Yog Darshan - 135
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'योग दर्शन' (कोड: 135) गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है, जो महर्षि पतंजलि द्वारा रचित योगसूत्रों का सरल हिंदी में व्याख्यायित संस्करण प्रस्तुत करता है। इसमें श्री हरिकृष्णदास जी गोयन्दका द्वारा प्रत्येक सूत्र का शब्दार्थ, उनके परस्पर संबंध और गहन अर्थों की स्पष्ट व्याख्या की गई है, जिससे पाठकों को योग के सिद्धांतों को समझने में सुविधा होती है। यह पुस्तक विशेष रूप से उन साधकों के लिए उपयोगी है जो योग के शास्त्रीय आधार और उसकी व्यावहारिकता को समझना चाहते हैं। पुस्तक में योग के लक्षण, स्वरूप, चित्त की वृत्तियाँ, क्लेश, समाधि के प्रकार, और मोक्ष की प्राप्ति के उपायों का विस्तृत वर्णन किया गया है। साधकों के लिए यह ग्रंथ एक अमूल्य मार्गदर्शिका है, जो उन्हें आत्मज्ञान और साधना के उच्चतम स्तर तक पहुँचने में सहायक सिद्ध हो सकती है। 'योग दर्शन' गीता प्रेस की एक महत्वपूर्ण कृति है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक साहित्य में अपनी विशिष्ट पहचान रखती है।
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